लगातार पांच महीनों की तेजी के बाद जून में घटी थोक महंगाई, जानिए क्या रही वजह
जून महीने में WPI मामूली रूप से कम होकर 12.07 फीसदी पर आ गया.
WPI लगातार तीसरे महीने तक दोहरे अंकों में बढ़ी है. (Source: IANS)
WPI लगातार तीसरे महीने तक दोहरे अंकों में बढ़ी है. (Source: IANS)
Wholesale Price Index : थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई दर (WPI) जून महीने में मामूली रूप से कम होकर 12.07 फीसदी पर आ गया. कच्चे तेल और फूड आइटम्स के दाम में कमी के कारण ऐसा हुआ है. हालांकि इसके बावजूद WPI लगातार तीसरे महीने तक दोहरे अंकों में बढ़ी है, जिसका मुख्य कारण पिछले साल का लो बेस है. जून 2020 में WPI (-)1.81 फीसदी था.
लगातार पांच महीनों की तेजी के बाद जून के WPI में नरमी देखी गई. इस दौरान कच्चे तेलों और फूड आइटम्स की कीमतों में कमी देखी गई. हालांकि मैन्यूफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की कीमतों में बढ़त देखने को मिला.
पिछले साल का लो बेस रहा महंगाई का कारण
कॉमर्स और इंडस्ट्री मिनिस्ट्री ने एक बयान में कहा कि जून, 2021 में महंगाई दर के ज्यादा होने का मुख्य कारण पिछले साल का लो बेस है. इसके साथ ही पिछले साल की तुलना में खनिज तेलों के दाम में वृद्धि, मैन्यूफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स, फूड प्रोडक्ट्स के दाम में भी बढ़त है.
लो बेस इफेक्ट का कारण पिछले साल के नेशनल लॉकडाउन को माना गया है, जो कोविड -19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लगाया गया था.
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जून में फ्यूल और पावर बास्केट की महंगाई घटकर 32.83 पर्सेंट हो गई, जो मई में 37.61 पर्सेंट थी. फूड आर्टिकल्स की महंगाई भी जून में घटकर 3.09 पर्सेंट हो गई, जो मई में 4.31 पर्सेंट थी. हालांकि प्याज की कीमतों में बढ़त देखी गई. मैन्यूफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स में महंगाई दर 10.88 पर्सेंट रही, जो कि पिछले महीने 10.83 पर्सेंट थी
इसी हफ्ते आए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, खुदरा महंगाई दर (CPI) जून में लगातार दूसरे महीने RBI की तय सीमा 6 पर्सेंट के ऊपर रही. जून में CPI 6.26 पर्सेंट थी.
05:08 PM IST